siddiqui

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Gazal 1

वादा अगर तो मिला कीजिए

आप ऐसे न मुझको छला कीजिए

करिए वादा अगर तो मिला कीजिए ।।

कोई भी ना रहे प्यार के दरमियाँ

अब ख़तम बीच का फ़ासला कीजिए ।।

काली गहरी अमावस की रातों में भी

बन के दीपक हृदय में जला कीजिए ।।

अब तो गलियों में भी चर्चे होने लगे

साथ मेरे नहीं अब चला कीजिए ।।

देख भँवरे दीवाने से हो जाएंगे

आप बन कर कली मत खिला कीजिए ।।

आपका है ये बस, आपका है ‘अगम’

कोई शिक़वा अगर हो, गिला कीजिए ।।

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हजारों ख़्वाहिशें ऐसी, कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले

बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले ।।

निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आये थे, लेकिन

बहुत बेआबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले ।।

हुई जिनसे तवक़्क़ो, खस्तगी की दाद पाने की

वो हम से भी ज़ियादा ख़स्त-ए-तेग़े-सितम निकले ।।

मुहब्बत में नहीं है फ़र्क, जीने और मरने का

उसी को देखकर जीते हैं, जिस काफ़िर पे दम निकले ।।

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5 Comments

Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

05-Oct-2021 10:56 PM

Wah

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Shalini Sharma

05-Oct-2021 04:05 PM

Nice

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Aliya khan

01-Oct-2021 01:10 AM

Behtarin

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